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Wednesday, October 20, 2010

E Saavn Tu Aaj Na Varas | Online Poetry | By Umakant Sharma

ए सावन तू आज न वरस

ए सावन तू आज न वरस
मेरे महबूब तो आजायें 
और आने के बाद उनके
तू वरस और वरस इतना वरस कि
वे जा न पायें ....

                                                                       - उमाकांत शर्मा "उमेश"
Tuesday, October 19, 2010

Kaanton ki Chubhan

काटों की चुभन .....

काटों की चुभन 
फूलों की सेज से भी सुन्दर होती है 
फूलों का क्या है 
उन्हें तो मुर्झाना  ही है एक दिन 
परन्तु कांटे, वे तो साथी होते हैं 
जीवन के हर रंग के
एक सच्चे मित्र की तरह 
कभी भी दोखा ना देने वाले 
क्योंकि उनका यथार्थ तो
हमारे सामने होता है 
खुले  रूप में 
छल कपट से दूर 
और उनकी चुभन भी 
अपने पन का एहसास कराती है !
         
                            - उमाकांत शर्मा "उमेश"