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Sunday, December 11, 2011

jeete je jo paa na sake hum, mujhe maut ne dila kiya

जीते जी जो पा न सके हम, मुझे मौत ने दिला दिया........ 


कफ़न
ऐसी क्या भी बेरहमी
जो इतने दिन तक भुला दिया
चाहा था बस प्यार आपका
क्यूँ इस दिल को रुला दिया
मेरा साथ यदि नहीं गंवारा
मुझको कुछ तो बतला देते
तुमने तो चाहत सुधा के
जाम ज़हर का पिला दिया
अब क्या तुम से गिला करें हम
ये तो अपनी किस्मत में था
अब तो इस वेदर्द जहाँ ने
मुझे मौत से मिला दिया
आये हो मय्यत में मेरी
रुसवाई का कफ़न कहाँ है ?
जीते जी जो पा न सके हम
मुझे मौत ने दिला दिया !

                                   - उमाकांत शर्मा "उमेश"