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Tuesday, December 27, 2011

Karani ab to ladaayee hai - करनी अब तो लड़ाई है

करनी अब तो लड़ाई है ....... 

चिंतित नेता जी
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर 
नेता जी ने पत्रकारों को वुलाया 
प्रेस कांफ्रेंस के नाम पर
आगे का प्लान बताया 
हमारे किसी पड़ोसी ने 
संसद पर नशाना दागा है 
कैसे देवें इसका उत्तर
जनता ने जानना चाहा है
नेताजी के माथे पर
चिंता की लकीरें दिखती थीं 
संसद पर हुई गोली बारी 
रुक रुक के डराया करती थी 
बोले कुछ तो करना होगा 
जान पे जो वन आयी है 
"शांति" गयी तेल लेने 
करनी अब तो लडाई है ! 
Wednesday, December 14, 2011

Sun Le aawaz meri - main tera deewana

मर के तो अब जीने दे ....

मर के तो अब जीने दे - सुन ले आवाज़ मेरी
सुन ले आवाज मेरी
वेदर्दी यूँ न सता
मेरी अर्थी है सजी देखो
आ के कन्धा तो लगा
अब क्या बाकी है सितम
मुझपे सनम ढाने का
क्यूँ बने वेवफा तुम
इतना तो बता जा ज़माने को
जिंदा तो रहा पर जी न सका
अब तक मै तेरा दीवाना
मर के तो अब जीने दे
तू अपने इस दीवाने को !

                                                  * उमाकांत शर्मा 
Sunday, December 11, 2011

jeete je jo paa na sake hum, mujhe maut ne dila kiya

जीते जी जो पा न सके हम, मुझे मौत ने दिला दिया........ 


कफ़न
ऐसी क्या भी बेरहमी
जो इतने दिन तक भुला दिया
चाहा था बस प्यार आपका
क्यूँ इस दिल को रुला दिया
मेरा साथ यदि नहीं गंवारा
मुझको कुछ तो बतला देते
तुमने तो चाहत सुधा के
जाम ज़हर का पिला दिया
अब क्या तुम से गिला करें हम
ये तो अपनी किस्मत में था
अब तो इस वेदर्द जहाँ ने
मुझे मौत से मिला दिया
आये हो मय्यत में मेरी
रुसवाई का कफ़न कहाँ है ?
जीते जी जो पा न सके हम
मुझे मौत ने दिला दिया !

                                   - उमाकांत शर्मा "उमेश"
Friday, December 9, 2011

Lekin badnaseevi - लेकिन वद्नसीवी-dried rose in book

वद्नसीवी ......

वरसों बाद आप
Dry Rose(Flower) in Book
हमको इस तरह मिले
जैसे किसी किताब में दबा
सूखा हुआ फूल
शायद उसमे से अब भी
खुशबू आती है !
लेकिन वद्नसीवी
की वो पन्नों में दब जाती है!


                                     - उमाकांत शर्मा
Saturday, December 3, 2011

ehsaas pyar ka - Nazaren mili aur pyar ho gya

Nazaren milin aur pyar ho gaya
एहसास प्यार का .....

अब क्या कहें हाल
दिल बेकरार का
नज़रें मिलीं और प्यार हो गया
कोशिशें हजारों की
कुछ न तुमसे कह पाए
पर तेरी आखों ने जानम एहसास प्यार का करा दिया !





                  -  उमाकांत शर्मा

Mahaki Mahaki Mast Hawa - Madhoshi

Mahaki Mahaki Mast Hawa - Madhoshi







महकी महकी मस्त हवा
जब भी मुझसे टकराती है
मदहोशी छा जाती मन पर
तन को घायल कर जाती है!




 
      - Umakant Sharma
Saturday, November 26, 2011

Sundarta teri - The Beauty

सुन्दरता तेरी...
The Real Beauty with Taj Mahal


ताजमहल से भी सुन्दर
मृग से भी चंचल तुम गोरी
देखा जव तेरे नैनों को
दिल चला  गया मेरा चोरी
रूप दमकता जिस पल तेरा
सूरज भी घायल हो जाता
देख के तेरी जुल्फें काली
बादल भी पागल हो जाता !



 - Umakant Sharma

Sunday, November 20, 2011

Samaanta ka Adhikaar

समानता का अधिकार


हमारी सरकार डॉक्टर बना रही है
उसे जो  लाया है ४ % परीक्षा में
Samaanta ka Adhikaar
लेकिन इसमें दोष सरकार का नहीं है
वो तो सभी को समानता का अधिकार
दिलवान चाहती है !
हमारे देश की जनसँख्या
जो दिन दूनी रात चौगनी बढ़ रही है
उसे कम करबाने का
इंतजाम कर रही है!

Mere Chaman ko na jaane nazar kis ki lagee

मेरे चमन को न जाने 
नज़र किस की लगी 
जहां गुल खिलते थे कभी 
आज वीराना है !
लाख दुश्मन थे, मगर
कोई नज़र उठा न सका 
मेरा तो दोस्त ही यारो 
बना वेगाना है !

                                      * उमाकांत शर्मा *
 
Friday, November 11, 2011

Guzre Dino Ki Kahani

मेरा जीवन....
किसी गुलाब की टहनी की तरह
जिसके शीश पर खिलते है फूल
किन्तु समेटे है अनगिनत कांटे
अपने दामन में
फूल की सुन्दरता
मन को खुश तो करती है
लेकिन तोड़ने की कोशिश में जब
कांटे चुभ जाते हैं तो
दर्द का एहसास भुला देता है
एक पल को
सुन्दरता फूल की
कुछ ऐसा ही मैं अनुभव करता हूँ
जब मेरी खुशियाँ बांटते वक्त
मेरे गम घायल कर जाते हैं
मेरे मष्तिस्क को
भूल जाता हूँ उन पलों को
जब याद आती है
गुजरे दिनों की कहानी
जिनसे मेरा सीना घायल है आज तक...

                                             * उमाकांत  शर्मा *
















Tuesday, March 15, 2011

Guzare jab Hum Teri Galiyon se : Online Poetry 4 U

गुजरे जव तेरी गलियों से 
हम अपना ठिकाना भूल गए
जिस पल ये नज़रें तुम से मिलीं 
हम पलकें गिरना भूल गए 
साँसों का सिलसिला रुक रुक कर 
कदामों को यूँ बहकाने लगा 
जाना था जो किसी और नगर
ये तेरी डगर से मिला गए  
देख के तेरी सूरत को 
एक आह! सी जो भर दी हमने 
नाजो अदा दिखलाते हुए 
दामन को छुड़ाकर चले गये 
ये, ठीक है तुम हो हंसी कमल 
इतराना फिदरत में वसाए हो
एक बात बता दो मेरे चमन 
क्या बिन मेरे खिल पाए हो?
                                       
                                           * उमाकांत शर्मा (उमेश)