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Friday, November 11, 2011

Guzre Dino Ki Kahani

मेरा जीवन....
किसी गुलाब की टहनी की तरह
जिसके शीश पर खिलते है फूल
किन्तु समेटे है अनगिनत कांटे
अपने दामन में
फूल की सुन्दरता
मन को खुश तो करती है
लेकिन तोड़ने की कोशिश में जब
कांटे चुभ जाते हैं तो
दर्द का एहसास भुला देता है
एक पल को
सुन्दरता फूल की
कुछ ऐसा ही मैं अनुभव करता हूँ
जब मेरी खुशियाँ बांटते वक्त
मेरे गम घायल कर जाते हैं
मेरे मष्तिस्क को
भूल जाता हूँ उन पलों को
जब याद आती है
गुजरे दिनों की कहानी
जिनसे मेरा सीना घायल है आज तक...

                                             * उमाकांत  शर्मा *